मेरे लहू की आग
किस-किस के घर का नूर थी मेरे लहू की आग, जब बुझ गया तो फिर से जलाया गया मुझे।
मोम की बैशाखियाँ
रविवार, 18 मार्च 2012
मेरे लहू की आग: 'फ़र्ज़ी सुख पर करके भरोसा खुद को हँसाया दिन-दिन भ...
मेरे लहू की आग: 'फ़र्ज़ी सुख पर करके भरोसा खुद को हँसाया दिन-दिन भ...
: (90) फ़िक्रे-सुख़न* में रातें काँटीं, ख़ून जलाया दिन-दिन भर शब को उड़ा जो छत से कबूतर,हाथ ना आया दिन-दिन भर शाम हुई तो देखा अक्सर नक़्श...
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