मेरे लहू की आग
किस-किस के घर का नूर थी मेरे लहू की आग, जब बुझ गया तो फिर से जलाया गया मुझे।
मोम की बैशाखियाँ
शुक्रवार, 10 जून 2011
आज की रात
अगर आज की रात तुम आ सको तो तुम्हें मैं ये दिलचस्प मंजर दिखाउं
की अपने बिस्तर पे तन्हा पड़ा हूं...जिस्म सूली पर लटका हुआ है.
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