सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

मेरे लहू की आग: 'सुरमई धूप में दिन-सा नहीं होने पाता'

मेरे लहू की आग: 'सुरमई धूप में दिन-सा नहीं होने पाता': (110) सुरमई धूप में दिन-सा नहीं होने पाता धुंध वो है कि उजाला नहीं होने पाता देने लगता है कोई ज़हन के दर पर दस्तक नींद में भी तो मैं ...