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क्या कहेगी कौन तन्हा छोड़कर आया उसे
क़ब्र की तारीकियों में होश ग़र आया उसे
रोकती ही रह गईं ममता-भरी बाहें मेरी
गोद ही धरती की अपना घर नज़र आया उसे
जिसमें महसूसात* की ख़ुशबू, न आवाज़ों के फूल
रास यह कैसे ख़राबे का सफ़र आया उसे
रस्मों-राहे-मेज़बानी* ख़त्म थी जिस पर कभी
अजनबी लगता है अब मेहमान घर आया उसे
जिसके रूख़* पर थी मुझे गर्दे-सफ़र भी नागवार
अपने हाथों से सपुर्दे-ख़ाक कर आया उसे
1-महसूसात*--अनुभूतियाँ
2-रस्मों-राहे-मेज़बानी*--अतिथियों का आदर-सत्कार
3-रूख़* --चेहरा
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